भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 12 फरवरी, 2018 को बैंक के बैड लोन या तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के शीघ्र निपटारे हेतु अपने नियमों में नया संशोधन किया और बैंकों को निर्देश देते हुए कहा कि वो डिफ़ॉल्ट की तत्काल पहचान करे और 23 फरवरी से हर शुक्रवार को रिजर्व बैंक की क्रेडिट रजिस्ट्री को ऐसे सभी डिफ़ॉल्ट की पहचान बताए.
इसी के मद्देनज़र, आरबीआई ने भारतीय बैंकों में खराब ऋण की समस्या का समाधान करने के लिए आधे दर्जन मौजूदा ऋण-पुनर्गठन तंत्र (loan-restructuring mechanisms) को खत्म कर दिया है जिसमें कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन योजना (Corporate Debt Restructuring Scheme) , सामरिक ऋण पुनर्गठन योजना (एसडीआर- Strategic Debt Restructuring Scheme), एस4ए (Scheme for Sustainable Structuring of Stressed Assets- S4A) और संयुक्त ऋणदाताओं के फोरम (जेएलएफ- Joint Lenders' Forum) प्रमुख हैं.
आरबीआई ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता-2016 के क्रियान्वयन को देखते हुए नयी रूपरेखा पेश करने का फैसला किया गया.
संशोधित फ्रेमवर्क
प्रारंभिक पहचान और तनाव की रिपोर्टिंग (Early identification and reporting of stress)
निम्नलिखित श्रेणियों के अनुसार, बैंक विशेष रूप से संबंधित खातों (एसएमए) में बैड लोन को वर्गीकृत करते हुए प्रारंभिक तनाव की पहचान करेंगे:
एसएमए उप-श्रेणियां | वर्गीकरण के लिए आधार - प्रिंसिपल या ब्याज भुगतान या किसी अन्य राशि- पूर्ण या आंशिक रूप से देय |
SMA-0 | 1-30 दिन |
SMA-1 | 31-60 दिन |
SMA-2 | 61-90 दिन |
आरबीआई ने कहा कि उधारकर्ता बैंक सभी ऋण लेने वाली संस्थाओं (5 करोड़ रूपए या अधिक) की जानकारी क्रेडिट सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ़ इनफार्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट (सीआरआईएलसी-CRILC) पर एसएमए खाते के वर्गीकरण के साथ देंगे.
1 अप्रैल 2018 से सीआरआईएलसी (CRILC) द्वारा प्राप्त डिफ़ॉल्ट के रिपोर्टिंग को मासिक कर दिया गया है. 5 करोड़ रुपए से अधिक के डिफॉल्ट को साप्ताहिक तौर पर बताना होगा.
अब बैंकों के लिए को बड़े डिफ़ॉल्ट को सुलझाना आवश्यक हो गया है. अगर 180 दिन के भीतर बड़े डिफ़ॉल्ट कोई समाधान नहीं निकलता है तो ऐसे लोन अकाउंट को बैंकरप्सी कोर्ट में भेजा जाएगा.
बैंकों के लिए 2 हजार करोड़ रुपए से ऊपर के डिफॉल्ट को 1 मार्च 2018 से 180 दिन के भीतर सुलझाना होगा. इस तारीख के बाद के डिफॉल्ट को जिस दिन से डिफॉल्ट हुआ है उस दिन से सुलझाना होगा.
केंद्रीय बैंक आरबीआई ने कहा कि अगर बैंक वो नए नियमों का उल्लघंन करते हैं तो उनको भारी पेनल्टी का सामना कर पड़ सकता है.
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