इस दिन अधिकतर राज्यों के अलग-अलग नगरों में शिवविवाह की बारात निकाली जाती हैं, जिसमें बच्चे-बूढ़े-जवान सभी भाग लेते हैं. भक्तगण भांति-भांति के रूप, जैसे, भूत, पिशाच, नाग, बैल, राक्षस, देव, गन्धर्व आदि रूप धरकर शिव जयकारा लगाते हैं.
महाशिवरात्रि के दिन अनेक महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. वे सुबह जल्दी उठ कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं और भक्ति-भाव से शिवलिंग पर जलाभिषेक करती हैं. शिवलिंग को चन्दन, फल-फूल से सजाया जाता है और इस दिन दूध, बादाम और भांग मिलाकर खास ठंडाई बनाई जाती है, जिसे सब प्रसाद के रुप में पीया जाता हैं.
Mahashivratri 2018: शिव पूजन में बिल्कुल भी न करें इस फूल का इस्तेमाल, वरना...
और सबसे महत्वपूर्ण है, मध्यरात्रि को संपन्न किया जाने वाला शिव-पार्वती का विवाह. जिसके सारे अनुष्ठान वैदिक रीतियों से सम्पन्न करवाए जाते हैं. इसके साथ ही महाशिवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण भाग संपन्न होता है. इसकी अगली सुबह व्रतधारी और उपवास करने वाले मंदिर में विधि-पूर्वक शिव पूजा करते हैं और पारायण (पारण) करते हैं.