गुवाहाटी।
राजस्थान पत्रिका के वैचारिक महाकुंभ की नोट कार्यक्रम में आयोजित सत्र संघर्ष इलाका:कश्मीर से मणिपुर में बाबलू लोइंगतोबाम ने विस्तार से मणिपुर में सशस्त्र बलों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार के उल्लंघन की बातों पर प्रकाश डाला। बाबलू ने कहा कि इन फर्जी मुठभेड़ों पर हमने लंबी लड़ाई लड़ी है। मामलों को एकत्रित कर कर संयुक्त राष्ट्र और सुप्रीम कोर्ट में मामला उठाया है।
वहीं एक अन्य सत्र आरएसएस: पूर्वोत्तर में भगवाकरण की ओर पर शेषाद्रि चारी ने कहा कि लेफ्ट और राइट कुछ नहीं होता है। मुद्दे होते हैं। वक्त के साथ मुद्दे बदलते हैं। उन्होंने दुख व्यक्त किया कि आज राजनीति में मूल्यों की कमी आई है। कवि और रंगकर्मी उषा झुनझुनवाला ने अपनी कई कविताओं का पाठ किया। राजस्थान के पंचायत राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थानियों को वापस जड़ों से जुडऩे की जरुरत है। अपने परिश्रम से राजस्थानी सिर्फ देश ही नहीं पूरे दुनिया में छा गए हैं, लेकिन अब उन्हें यह देखकर दुख होता है कि उनकी संपत्ति का देखभाल करनेवाला वहां कोई नहीं, उनका बचपन वहां से जुड़ा है।
वहीं की नोट कार्यक्रम की शुरुआत में असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि 21वीं शताब्दी का यह दौर भारी प्रतिस्पद्र्धा का है। इसमें युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में युवाओं को सफलता के लिए हर तरह से तैयार रहना चाहिए। इस कार्य में सशक्त मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। सोनोवाल ने कहा कि भारतीय समाज विविधताओं से परिपूर्ण है। ऐसे समाज में विभिन्न वर्गों में भाईचारा बढ़ाने और विविधता में एकता की भावना को मजबूत करने में मीडिया को सकारात्मक भूमिका अदा करनी चाहिए। सोनोवाल ने 'की नोट' आयोजन के लिए राजस्थान पत्रिका समूह की सराहना की और आभार भी व्यक्त किया।
समापन समारोह के दौरान मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि देश में क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए, के मध्य ऐसे विचार मंथन बड़े सेतु का काम करते हैं। ऐसे आयोजनों से सरकारों तक यह बात आसानी से पहुंच सकती है कि जनता क्या चाहती है और विषय विशेषज्ञों की दृष्टि में उसका रास्ता क्या है। एक स्वस्थ लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका और जिम्मेदारी काफी महत्वपूर्ण है। और मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई कि राजस्थान पत्रिका न केवल निष्पक्ष, निर्भीक एवं स्वतंत्र पत्रकारिता अपितु समाज के प्रति अपने सरोकारों के लिए भी मजबूती से प्रतिबद्ध है। मुझे मालूम हुआ कि किस तरह समाचार पत्र की एक आवाज पर उसके लाखों पाठक पौधारोपण से लेकर जल संरक्षण, आपदा प्रभावितों के लिए अनाज जुटाने, शिक्षा का वातावरण बनाने, कन्या भ्रूण हत्या रोकने और ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए एकजुट हो जाते हैं।