अगरतला।
त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का प्रचार जोरों पर है। भाजपा ने काडर बेस्ड सीपीएम को काउंटर करने के लिए गुजरात और मध्य प्रदेश के संगठनात्मक मॉडल पर चल रही है। भाजपा ने प्रत्येक 60 मतदाताओं पर एक व्यक्ति (पृष्ठ प्रमुख-पन्ना प्रमुख) नियुक्त किया है। असम,पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली और महाराष्ट्र से आए पार्टी के सैंकड़ों कार्यकर्ता त्रिपुरा में काम कर रहे हैं।
कम से कम 42 हजार पृष्ठ प्रमुख 45 हजार पन्नों की वोटर लिस्ट को देख रहे हैं। वोर लिस्ट के प्रत्येक पन्ने में 60 मतदाता हैं और पृष्ठ प्रमुख इन मतदाताओं को मोबलाइज करने में लगे हुए हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित
करने में लगे हुए हैं कि ये वोटर घर से निकलकर मतदान करें। इसी तरह पार्टी ने 60 विधानसभा सीटों में 60 विस्तारकों का नेटवर्क तैयार किया है। लोगों के इन समूहों को पार्टी के विस्तार और संगठन का टास्क दिया गया है। इसके अलावा बूथ इंचार्ज भी हैं और इन यूनिटों को क्लस्टर में क्लब किया गया है जिन्हें शक्ति केन्द्र कहा जाता है। चूंकि राज्य में ट्राइबल पॉपुलेशन और टी ट्राइब्स हैं इसलिए भाजपा ने वोटरों तक पहुंचने के लिए असम के बोडोलैंड,कार्बी आंग्लोंग जैसे ट्राइबल बेल्ट से कार्यकर्ताओं को बुलाया है।
टी ट्राइब्स के नेता राज्य में प्रचार कर रहे हैं। असम की बराक वैली में बंगाली भाषी कार्यकर्ता हैं। उन्हें बंगाली बोलने वाले मतदाताओं से कनेक्ट करने के लिए तैनात किया गया है। कई कैडर्स जो राज्य के बाहर से आए हैं उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश और गुजरात में हुए चुनाव में काम किया है। दिल्ली व अन्य जगहों से आए छात्र भी भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और त्रिपुरा में भाजपा के इंचार्ज सुनील देवधर ने कहा, सीपीएम एक काडर बेस्ड पार्टी है। उससे मुकाबले के लिए हमने मध्य प्रदेश और गुजरात में पार्टी के संगठनात्मक मॉडल को शामिल किया है। पिछले दो साल में हमने काडर बेस्ड ऑर्गेनाइजेशन का निर्माण किया है। इस कारण पिछले 25 सालों से राज करने वाले लेफ्ट फ्रंट को पहली बार काडर बेस्ड और अनुशासित राजनीतिक संगठन का सामना करना पड़ रहा है।
देवधर ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात में इस मॉडल को तरजीह दी थी। जमीनी स्तर के हजारों कार्यकर्ता लेफ्ट फ्रंट को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए फील्ड में काम कर रहे हैं। इन कार्यकर्ताओं की इतनी पैठ हो गई है कि लेप्ट फ्रंट भयाक्रांत हो गया है और हमारे कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। आपको बता दें कि त्रिपुरा में इसी माह विधानसभा चुनाव है। राज्य की 60 सीटों के लिए 18 फरवरी को मतदान होगा। 3 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। राज्य में इस बार लेफ्ट फ्रंट का मुकाबला भाजपा से है। राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार खुद यह कबूल कर चुके हैं।