कांग्रेस, टीएमसी से होते हुए भाजपा में पहुंचे दिलीप सरकार, बधारघाट से 4 बार जीत चुके हैं चुनाव

Daily news network Posted: 2018-02-09 17:10:36 IST Updated: 2018-02-09 17:10:36 IST
कांग्रेस, टीएमसी से होते हुए भाजपा में पहुंचे दिलीप सरकार, बधारघाट से 4 बार जीत चुके हैं चुनाव
संक्षिप्त विवरण

अगरतला।

त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में इस बार सभी की नजरें उन 6 सीटों पर है जहां से पिछले साल तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेता चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले साल अगस्त में तृणमूल कांग्रेस के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। इनमें प्रमुख नाम है दिलीप सरकार का, जो बधारघाट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार वे यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।


2013 के विधानसभा चुनाव में दिलीप सरकार ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। दिलीप सरकार यहां से चार बार विधायक रह चुके हैं जबकि सीपीएम के जदाब मजूमदार 3 बार यहां से विधायक रह चुके हैं। दिलीप सरकार ने बधारघाट से 6 बार चुनाव लड़ा। चार बार जीते और दो बार हार का मुंह देखना पड़ा। सीपीएम के जदाब मजूमदार ने चार बार चुनाव लड़ा और तीन बार विधायक चुने गए। सीपीएम के ही सुब्रता चक्रवर्ती ने दो बार चुनाव लड़ा। एक बार हारे और एक बार जीते। इस सीट से सबसे कम वोटों से जीतने वाले उम्मीदवार दिलीप सरकार हैं। 2008 के विधानसभा चुनाव में वे सिर्फ 375 वोटों से जीते थे।


उन्होंने सीपीएम के सुब्रता चक्रवर्ती को हराया था। दिलीप सरकार को कुल 29, 724 वोट मिले थे जबकि चक्रवर्ती को कुल मत पड़े थे 29, 349। सीपीएम के जदाब मजूमदार ने इस सीट से सबसे ज्यादा मतों से चुनाव जीता था। 1977 के विधानसभा चुनाव में मजूमदार ने टीसीडी के उम्मीदवार सचिन्द्र लाल सिंघा को 8,972 वोटों से हराया था। मजूमदार को कुल वोट मिले थे 10,816 जबकि सिंघा को सिर्फ 1,844 मत ही पड़े थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में दिलीप सरकार ने आरएसपी के समर दास को 643 वोटों से हराया था। सरकार को कुल वोट मिले थे 24, 309 जबकि दास को 23,666 मत पड़े थे। 2003 तक यह सामान्य सीट थी लेकिन 2013 में यह एससी के लिए आरक्षित हो गई।


1983 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने फिर जदाब मजूमदार को टिकट दिया। इस बार उन्होंने कांग्रेस के निरंजन पॉल को 2,693 वोट से  हराया। मजूमदार को कुल वोट मिले 11,244 जबकि पॉल को 8,551।  1988 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दिलीप सरकार को चुनाव मैदान में उतारा। वे यहां से जीतकर पहली बार विधायक बने। हालांकि उन्होंने बहुत ही मामूली अंतर से यह सीट जीती थी। सरकार ने सीपीएम की इला भट्टाचारजी को 326 वोटों से हराया। सरकार को 13,929 वोट मिले जबकि इला को 13,597। 1993 के चुनाव में दिलीप सरकार चुनाव हार गए। उन्हें सीपीएम के जदाब मजूमदार ने 2,467 वोटों से हराया। मजूमदार को कुल वोट मिले 19,563 जबकि सरकार को 17,096। 1998 के विधानसभा चुनाव में सरकार ने फिर वापसी की।


इस बार उन्होंने सीपीएम के उम्मीदवार जदाब मजूमदार को 1,549 वोटों से हरा दिया। सरकार को कुल 19, 372 वोट मिले जबकि मजूमदार को 17, 823 मत मिले। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर दिलीप सरकार पर दांव लगाया लेकिन इस बार यह उल्टा पड़ गया। सीपीएम ने अपना उम्मीदवार बदल लिया। सीपीएम के सुब्रता चक्रवर्ती ने सरकार को 948 वोटों से हरा दिया चक्रवर्ती को 22,773 वोट मिले जबकि सरकार को 21,825। 2008 के विधानसभा चुनाव में सरकार ने फिर वापसी की और सीपीएम के सुब्रता चक्रवर्ती को 375 वोटों से हरा दिया। सरकार को 29, 724 वोट मिले जबकि चक्रवर्ती को 29, 349। 2013 के विधानसभा चुनाव में सरकार फिर यहां से चुनाव जीतकर विधायक बने। उन्होंने आरएसपी के समर दास को 643 वोटों से हराया।