कॉलेज में पढ़ाई करते समय विपरीत लिंग के साथ मित्रता करना स्वाभाविक और सहज है. छात्रों के मानसिक और सामाजिक विकास के लिए यह जरुरी भी है. लेकिन उम्र की इस दहलीज पर कभी कभी यह दोस्ती अज्ञानता वश क्रश, मोह, प्रेम संबंध, या रोमांस में बदल जाती है. कभी कभी यह दोस्ती एक अप्रत्याशित, अनुचित और अप्रिय स्थिति का कारण भी बन जाती है. ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जहाँ लड़के लड़कियां अपने गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड से तकरार या कहासुनी के कारण बहुत ज्यादा तनाव में आ जाते है और कभी कभी अप्रत्याशित हिंसक कदम भी उठा लेते हैं. इस वजह से उनकी प्रतिभा तथा अध्ययन दोनों बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.
संबंधों की प्रकृति
कॉलेज की मित्रता जब रोमांस का रूप धारण करने लगती है तो यह छात्रों के हित में नहीं होता है. इस दौरान लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते और इसे दो छात्रों के बीच पारस्परिक मैत्री का नाम दे देते हैं. लेकिन यह रोमांस किशोरावस्था की एक गलती साबित हो सकती है. इस दौरान छात्रों को इस विषय पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस अवस्था में छात्र अभी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर पूरी तरह परिपक्व नहीं होते हैं और जीवन को उसके सही परिप्रेक्ष्य में नहीं समझ पाते हैं.
यहाँ उन्हें अपने संबंधो की प्रकृति को समझकर उसके अनुरूप आचरण करने की आवश्यकता होती है. उन्हें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि हमारा सम्बन्ध,विश्वास,सही समझ और पारस्परिक सम्मान की भावना पर अवलंबित है. इसे जीवन में कामयाबी हासिल करने तक परस्पर विश्वास के साथ बनाये रखें. उन्हें यह भी समझने का प्रयास करना चाहिए कि आगे चलकर अपना निर्णय खुद लेने की स्थिति में आ जाने के बाद इन सम्बन्धों पर गहराई से विचार कर इसे आगे बढ़ाया जा सकता है. तब तक आप एक बहुत अच्छे दोस्त के दोस्ती के एहसास के साथ अपने लक्ष्य पर फोकस करें.
कॉलेज में रोमांस
9. इस दौरान छात्र अपना अधिकांश समय डेटिंग में गुजारते हैं और अपने दोस्तों,मित्रों से कटते चले जाते हैं. इस समय वे पर्याप्त स्टडी तो नहीं ही कर पाते, जरुरत पड़ने पर दोस्त मित्र भी उनका साथ नहीं देते.
निष्कर्ष:
वस्तुतः कॉलेज का समय जीवन का निर्णायक समय होता है. इसी दौरान छात्र अपने करियर पर पूरी तरह फोकस करते हैं . माता-पिता, शिक्षकों और अभिभावकों को इस अवधि में छात्रों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. एक गलत कदम छात्र के मन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. छात्रों को कभी भी इस बात का एहसास नहीं दिलाना चाहिए कि विपरीत लिंग से दोस्ती करना सामजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से उचित नहीं है.
उसके हर बात को खुले मन से स्वीकार करते हुए उस पर विचार कर अपनी बात और व्यवहार से छात्रों को पूरी तरह संतुष्ट करना चाहिए.