अगरतला
भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में हत्या के आरोपी को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने मंडवई विधानसभा सीट से धीरेन्द्र देबबर्मा को उम्मीदवार बनाया है। देबबर्मा उन 12 आरोपियों में शामिल है जिन पर पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या का आरोप है। आपको बता दें कि पिछले साल 20 सितंबर को भौमिक की निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। भौमिक स्थानीय न्यूज चैनल दिन रात के रिपोर्टर थे। वे इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा(आईपीएफटी)के रोड ब्लॉकेज को कवर करने के लिए गए थे।
19 सितंबर 2017 को गणमुक्ति परिषद ने ट्राइबल ग्रुप्स की रैली आयोजित की थी। इस रैली को मुख्यमंत्री माणिक सरकार व अन्य ट्राइबल लीडर्स ने संबोधित किया था। कथित रूप से आईपीएफटी ग्रुप्स ने रैली में भाग लेने वाले लोगों के वाहनों पर हमला किया था। इसमें 118 लोग घायल हुए थे। भौमिक इन सारी घटनाओं को कवर कर रहे थे। अगले दिन उनकी हत्या कर दी गई। राज्य सरकार ने भौमिक की हत्या के मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की। अभी तक एसआईटी ने अपनी चार्जशीट में 12 लोगों को आरोपी बनाया है।
इनमें से 6 को गिरफ्तार किया जा चुका है। 4 फरवरी को सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात मंडवई में शांतनु भौमिक के घर गई और भौमिक की मां से मिली। करात ने कहा कि भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने भौमिक की हत्या में शामिल आरोपी और आईपीएफटी के नेता धीरेन्द्र देबबर्मा को उसी जगह से उम्मीदवार बनाया है जहां भौमिक की हत्या हुई थी। मुख्यमंत्री माणिक सरकार समेत सीपीएम के नेताओं ने भाजपा और आईपीएफटी के गठबंधन की आलोचना करते हुए इसे अपवित्र गठबंधन करार दिया था। उनका कहना था कि आईपीएपटी उग्रवादी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा(एनएलएफट) की राजनीतिक विंग है। भाजपा और आईपीएफटी के बीच सीटों को लेकर जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक भाजपा 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि 9 सीटें आईपीएफटी के लिए छोड़ी है। राज्य में विधानसभा की कुल 60 सीटें है।
इनके लिए 18 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 3 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 50 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। भाजपा एक सीट भी नहीं जीत पाई थी। उसका वोट शेयर सिर्फ 1.54 फीसदी था। हालांकि पिछले साल ही वह उस वक्त प्रमुख विपक्षी दल बन गई जब तृणमूल कांग्रेस के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। ये सभी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। पिछले साल अगस्त में सभी 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। सीपीएम के नेतृत्व वाला लेफ्ट फ्रंट 57 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। तीन सीटें उसने फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी) और सीपीआई के लिए छोड़ी है।