त्रिपुरा: बीजेपी की इस चाल ने सोनामुरा सीट से बिगाड़ दिया कांग्रेस का खेल

Daily news network Posted: 2018-02-08 12:50:29 IST Updated: 2018-02-08 12:50:29 IST
त्रिपुरा: बीजेपी की इस चाल ने सोनामुरा सीट से बिगाड़ दिया कांग्रेस का खेल
संक्षिप्त विवरण

अगरतला।

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में भाजपा और सीपीएम के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां चुनावी प्रचार की कमान संभाल रखी है। गुरुवार को प्रधानमंत्री त्रिपुरा में हैं। यहां वे मुस्लिम बहुल सोनामुरा और उत्तरी त्रिपुरा के कैलाशहार में चुनावी रैली कर रहे हैं। बता दें कि सोनापुरा विधानसभा सीट से भाजपा ने सुबल भौमिक को चुनावी मैदान में उतारा है।  बता दें कि सुबल 2008 में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार इसी सीट से चुनाव जीत कर विधायक बने थे, लेकिन अब वे भाजपा के साथ हैं। वहीं सुबल के खिलाफ सीपीएम ने श्यामल चक्रबर्ती तो वहीं कांग्रेस न मजबूर इस्लाम मजूमदार को मैदान में उतारा है। सोनामुरा विधानसभा सीट पर आज तक भाजपा आज तक अपना खाता नहीं खोल पाई है। ऐसे में प्रधानमंत्री यहां रैली कितना खेल दिखा पाती है, यह तो चुनावों के परिणामों के बाद ही सामने आ पाएगा।


सोनापुरा विधानसभा सीट पर अब तक हुए नौ विधानसभा चुनावों का विश्लेषण करें तो यहां सीपीएम और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही है। सीपीएम के उम्मीदवार यहां से पांच बार जीते हैं तो कांग्रेस के खाते में चार बार ये सीट आई है। हालांकि इस बार भाजपा ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया है। दरअसल भौमिक 2008 में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार इसी सीट से चुनाव जीत कर विधायक बने थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और त्रिपुरा भाजपा के उपाध्यक्ष बन गए। ऐसे में अब इस विधानसभा सीट पर सीधी टक्कर सीपीएम के श्यामल चक्रबर्ती और भौमिक के बीच मानी जा रही है। हालांकि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते कांग्रेस मजबूर इस्लाम यहां खेल बिगाड़ सकते हैं।


1972 में सोनापुरा विधानसभा के लिए हुए पहले चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी थी। कांग्रेस के देबेंद्र के. चौधरी को कुल 3340 वोट मिले थे। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार सुल्तान मियां 1504 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। 1977 में इस सीट पर सीपीएम का खाता खुला था। सीपीएम के सुबल रुद्रा ने कांग्रेस से हाथों से ये सीट छीनी थी। सुबल के खाते में 6469 तो कांग्रेस के देबेंद्र को 4389 वोट मिले थे। 1983 में हुए चुनावों में एक बार फिर यहां कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा लिया। कांग्रेस को रिसक लाल रॉय को 7264 तो वहीं सीपीएम के विजेता उम्मीदवार सुबल को 6623 वोट मिले। 1988 में भी यहां कांग्रेस का ही जादू चला। एक बार फिर रॉय के हाथों सुबल को हार झेलनी पड़ी। हालांकि इस बार हार का अंतर काफी कम था। रॉय ने महज 497 वोटों से ये सीट जीती थी।

1993 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो एक बार फिर वामपंथी इस सीट पर भारी पड़ते नजर आए। इस चुनाव में सीपीएम के उम्मीदवार सुबल रुद्रा ने दो चुनावों में मिली हार का बदला लेते हुए रॉय के हाथों से ये सीट जीत ली। सुबल को 11181 तो वहीं रॉय को 8218 वोट मिले। इसके बाद अगले दोनों विधानसभा चुनाव में ये सीट सीपीएम के खाते में ही रही और यहां सुबल ने लगातार तीन जीत ही हैट्रिक लगाई। 1998 के चुनाव में सुबल रुद्रा के खिलाफ कांग्रेस ने सुबल भौमिक को उतारा, लेकिन जीत नहीं नसीब हुई। कमोबेश यही स्थिति 2003 के चुनाव में भी रही। कांग्रेस के सुधीर रंजन मदूमदार भी सुबल रुद्रा के आगे टिक नहीं पाए। हालांकि 2008 में कांग्रेस ने लगातार तीन हार के बाद वापसी की और सुबल भौमिक ने सुबल रुद्रा को हराकर जीत का स्वाद चखा। भौमिक को  14837 तो वहीं रुद्रा को 14008 वोट मिले। पिछले चुनावों की बात करें तो एक बार फिर ये क्षेत्र वामपंथियों के हाथों में चला गया। सुबल भौमिक के खिलाफ सीपीएम ने श्यामल चक्रबर्ती को मैदान में उतरा था। श्यामल ने 1526 मतों के अंतर से भौमिक को हराया। श्यामल के खाते में कुल 18043 वोट गए थे।


हालांकि अब सुबल भौमिक कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं और इस बार भी उनका मुकाबला सीपीएम के विजेता उम्मीदवार श्यामल से होगा। इस बीच खबरें ये भी आईं थी कि भौमिक सोनामुरा सीट से चुनाव नहीं लडऩा चाहते थे, जब बीजेपी ने उन्हें इस सीट से टिकट दिया तो उनकी नाराजगी भी सामने आई थी। मामला इतना आगे बढ़ गया था कि त्रिपुरा में भाजपा के चुनाव प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने भौमिक को गुवाहाटी तलब किया। उन्होंने भौमिक की फोन पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से बात करवाई। इसके बाद वह सोनामुरा से चुनाव लडऩे के लिए तैयार हो गए। आपको बता दें कि त्रिपुरा में इसी माह  विधानसभा चुनाव है। राज्य की 60 विधानसभा सीटों के लिए 18 फरवरी को मतदान होगा। 3 मार्च को नतीजे घोषित होंगे। भाजपा ने राज्य में क्षेत्रीय दल इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ  त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ चुनावी तालमेल किया है।