शिलांग
एक ओर जहां पूरे देश में पितृसत्ता मानी जाती है तो वहीं समाज को आइना दिखाता मेघालय ऐसे राज्यों में जहां शुमार है जहां मातृवंशीय समाज है और यहां महिलाओं को प्रमुखता दी जाती है लेकिन फिर भी यहां राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है ।
यहां के खासी समुदाय में सबसे छोटी बेटी अपने वंश की निरंतरता बनाये रखती है जिसे खाटदुह कहा जाता है इस परंपरा के अन्तर्गत वह न अपने पैतृक संपत्ति की उत्तराधिकारी होती है बल्कि अपने कुल के वृद्व और अक्षम सदस्यों की देखभाल करना भी उसकी जिम्मेदारी होती है । बुर्जगों का अंतिम संस्कार करना भी उसकी जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि पीनथोरूमखराह निर्वाचन क्षेत्र से बतौर निर्दलीय चुनाव लडऩे का निर्णय इसलिए लिया है कि वह चाहती है कि यहां की महिलाओं के अन्दर से डर खत्म हो और यह संदेश जाये कि महिलाएं भी पुरुषों से कम नहीं है। गैर सरकारी संगठन नार्थईस्ट नेटवर्क ने कुछ साल पहले यहां महिलाओं की राजनीति में रुचि पर सर्वेक्षण किया था जिसमें पाया कि आधी फीसदी महिलाओं को भ्रष्टाचार की वजह से राजनीति में कोई रुचि नहीं है।
अनीता ने कहा कि, मैं ये कहना चाहती हूं कि महिलाएं भी आगे आकर राजनीति में भाग ले सकती है। उन्हें ये मौका क्यों नहीं दिया जाता है जिससे वो भी आगे आये और राज्य की उन्नति में अपना योगदान दे। सिर्फ महिला ही दूसरी महिला को समझ सकती है। महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा मेरी पहली प्राथमिकता रहेगी। बेटी क्यों नहीं प्रगति में भाग ले सकती है। आने वाली पीढ़ी खासकर सबसे छोटी बेटियों को अपनी पसंद के क्षेत्र में दक्षता हासिल करनी होगी जिससे वो सरकारी नौकरी पर निर्भर न रहे। उन्होंने कहा कि बीच में पढ़ाई छोडऩे का मामला राज्य में गंभीर मुद्दा है जिसे अच्छे से लिए जाने की जरूरत है।
निर्दलीय के तौर पर चुनाव क्यों लड़ रही है ,इस पर अनीता ने कहा कि वह किसी पार्टी की विचारधारा से बंधना नहीं चाहती है और निर्दलीय के तौर पर उनके साथ लोगों के लिए काम करने के लिए पूरी आजादी है । उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने उनसे पार्टी में शामिल होने का आग्रह किया था। यह क्षेत्र विधायक एएल हेक का गढ़ है जो इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड रहे हैं।